Chandrayaan-3 Moon Landing: रांची से लॉन्चिंग पैड, फतेहपुर का कैमरा; जानें चंद्रयान-3 में किस शहर का क्या लगा है?

Chandrayaan-3 Moon Landing: चंद्रयान-3 के सफल लैंडिंग के परिणामस्वरूप, बोझिल ग्राम के खरखुरा मोहल्ले में जनता में अद्वितीय उत्साह दिखाई दे रहा है। इस बागीचे में लोग अब चांद की ओर उत्सुकता से देख रहे हैं। इस साफ-सुथरे प्राकृतिक दृश्य ने इसरो के कर्मठ कर्मचारियों को और भी प्रेरित किया है। सुधांशु कुमार के माता-पिता ने उनके प्रयासों की सफलता की कामना की है और इससे उनकी मेहनत का संवाद निकलता है। भारत ने चंद्रयान-3 के माध्यम से चांद पर अपने अन्वेषण में महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जिसमें देशभर के वैज्ञानिकों का बेहद महत्वपूर्ण योगदान है। इस मिशन के पीछे विभिन्न शहरों के वैज्ञानिकों का सामर्थ्य है।

जिन्होंने अपने विशेष दक्षताओं का इस्तेमाल करके इसकी सफलता में सहायता की। कुछ वैज्ञानिकों ने विशेष कैमरा तकनीक का उपयोग किया है, जो इस मिशन को समर्थन देने में महत्वपूर्ण साबित हुआ है।

  • इसके अतिरिक्त, कुछ वैज्ञानिकों ने मिशन की सफलता की निगरानी के
  • लिए विशेष सॉफ्टवेयर तैयार किया है, जिससे चंद्रयान की यात्रा की
  • सटीकता बनी रहे। ऐसे वैज्ञानिकों के प्रयासों ने मिशन की मौलिकता
  • को मजबूती से प्रमोट किया है और इसके
  • पीछे उनके संघर्षों और समर्पण की कहानी छिपी है।

फतेहपुर: पेलोड में लगे कैमरों ने दिखाया कामयाबी का रास्ता


Chandrayaan-3 Moon Landing: सुमित कुमार और उनकी टीम ने चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर और रोवर के लिए पांच नवाचारी कैमरों का डिज़ाइन विकसित किया है। यह नए और आधुनिक कैमरे 2008 से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में सेवाएं देने वाले सुमित कुमार के नेतृत्व में हैं, और इनका केंद्र अहमदाबाद में स्थित है।

  • इन प्रोग्रेसिव कैमरों की सहायता से, लैंडर और रोवर को चंद्रमा पर ठहरने
  • के स्थान और का पता चलाया जा सकता है। इसके अलावा, भविष्य में,
  • रोवर का काम होगा चंद्रमा की मिट्टी की अध्ययन करना, जिससे विज्ञानी
  • और अनुसंधानकर्ताओं को मिलेगा मूल्यपूर्ण डेटा। इसके साथ ही, यह
  • उपग्रह के आंकड़े भी लैंडर की ओर भेज सकेगा,
  • जिससे मिशन की सफलता को मापा जा सकेगा।

उन्नाव: चंद्रयान की लैंडिंग के सिस्टम पर काम

चन्द्रयान-3 Moon Landing: आशीष मिश्रा ने लॉन्च से लैंडर प्रोपल्शन सिस्टम तक कई महत्वपूर्ण योगदान किए हैं, जिनमें युवा अंतरिक्ष वैज्ञानिक के रूप में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने नियंत्रण इलेक्ट्रॉनिक्स और थ्रॉटलिंग वाल्वों के विकास में भी योगदान किया है, जो चन्द्रयान-3 की सफल लैंडिंग के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण थे।

  • उन्होंने 2008 में इसरो में काम करना आरंभ किया और उसके बाद
  • से उन्होंने पीएसएलवी, जीएसएलवी, और एलवीएम-3 के
  • परियोजनाओं में योगदान किया है। इससे उनका इसरो में 14 साल
  • का अध्ययन हो गया है और उनके योगदान ने अंतरिक्ष और विज्ञान
  • क्षेत्र में नये दिशानिर्देश प्रदान किए हैं। उनका प्रमुख क्षेत्र नियंत्रण
  • इलेक्ट्रॉनिक्स में है, और उन्होंने चन्द्रयान-3 की सफल लैंडिंग के
  • लिए अपने योगदान से उत्कृष्टता प्रदर्शित की है।

Chandrayaan-3 Landing –मिर्जापुर: लैंडिंग-कंट्रोलिंग में मिर्जापुर का लाल

Chandrayaan-3 Moon Landing: मिर्जापुर के लाल आलोक पांडेय ने चंद्रयान-3 मिशन में शुरुआत से लेकर लैंडिंग और कंट्रोलिंग तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके पिता संतोष पांडेय ने भी मंगलयान-2 में उत्कृष्ट काम किया था और उन्हें इसरो द्वारा पुरस्कृत किया गया था। इसके परिणामस्वरूप, आलोक को चंद्रयान-3 मिशन के लैंडिंग और संचार की जिम्मेदारी सौंपी गई।

आलोक ने पिता को बताया कि –

चंद्रयान-3 मिशन प्रगति कर रहा है और कंट्रोल में सुधार हुआ है। उनकी सुचना के अनुसार, मिशन की सफलता पूरी तरह से संभावित है जो चंद्रयान-3 के महत्वपूर्ण कार्यों की प्रगति को प्रकट करता है। आलोक पांडेय ने अपने पूरे परिश्रम और समर्पण से इस मिशन को सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

मुरादाबाद: चंद्रयान 3 की आभा में रोशन मुरादाबाद के सितारे

Chandrayaan-3 Moon Landing: चंद्रयान-3 मिशन की सफलता में वैज्ञानिक मेघ भटनागर, अनीश रमन सक्सेना, और रजत प्रताप सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका थी। वे मिशन के सॉफ्टवेयर के गुणवत्ता नियंत्रण में लगे थे। इसरो के बेंगलुरु केंद्र में काम करते हुए मेघ ने चंद्रयान-3 के ‘ब्रेन’ के रूप में काम किया। उनकी संरक्षण में सॉफ्टवेयर की गुणवत्ता की निगरानी की गई, जो मिशन के सफलता में महत्वपूर्ण थी।

रजत प्रताप सिंह ने

पृथ्वी की कक्षा में पहुंचने वाले रॉकेट के नियंत्रण में योगदान किया, मिशन की प्रगति की निगरानी करते हुए। वे मिशन को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण थे। अनीश रमन सक्सेना ने मिशन चंद्रयान-2 के लिए चंद्रयान-1 से लिए गए डेटा का योगदान दिया और उनकी टीम ने चंद्रयान-2 के प्रोब्स को तैयार किया। उनका योगदान मिशन की सफलता में महत्वपूर्ण था।

इसरो के अहमदाबाद केंद्र में काम करते हुए –

अनीश ने अपनी टीम के साथ चंद्रयान-2 के प्रोब्स की तैयारी की, जो मिशन की प्रगति को बिना किसी रुकावट के आगे बढ़ाया। उनका महत्वपूर्ण योगदान मिशन के निरंतर विकास में था।

रांची: लॉन्चिंग पैड समेत कई उपकरणों का निर्माण


रांची की एचईसी ने

  • महत्वपूर्ण उपकरणों का निर्माण किया है, जैसे कि हॉरिजॉन्टल
  • स्लाइडिंग डोर, फोल्डिंग प्लेटफ़ॉर्म, और विल बोगी सिस्टम।
  • ये सभी उपकरण असेंबलिंग एरिया से लांचिंग पैड तक काम
  • करते हैं। इसरो के विभिन्न प्रोजेक्टों में
  • एचसीएल ने कई काम पूरे किए हैं, जैसे कि चंद्रयान और
  • अन्य उपग्रहों के लिए लांचिंग पैड का निर्माण। इसके अलावा, हर
  • साल इसरो के प्रोजेक्टों का काम एचसीएल को सौंपा जाता है, जो
  • उनकी विशेषज्ञता को प्रमोट करता है। एचसीएल वर्तमान में
  • गगनयान मिशन के लिए भी लांचिंग पैड का निर्माण कर रहा है,
  • जो भारतीय अंतरिक्ष प्रोग्राम को एक नया मुख देगा। इससे भारत
  • अंतरिक्ष में नए दरवाजे खोल रहा है।

Chandrayaan-3 Moon Landing –प्रयागराज: हेजार्डस डिटेक्शन मैकेनिज्म बनाया

वैज्ञानिक हरिशंकर गुप्ता ने हजारों डिटेक्शन मैकेनिज्म विकसित किया, जो चंद्रमा पर उतरने के लिए चंद्रयान-3 में उपयोग होगा। यह मैकेनिज्म लैंडर को गड्ढों और क्रेटर्स की पहचान में मदद करेगा। इसके साथ ही, इंटेलिजेंस सेंसर भी उपयोग होगा।

हरिशंकर गुप्ता ने –

चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 मिशन में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया, अपनी वैज्ञानिक दक्षताओं का प्रदर्शन किया। उनकी 2017 में इसरो में नियुक्ति से उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार के क्षेत्र में शिक्षा प्राप्त की। नेहा नामक वैज्ञानिक से उन्होंने इसरो में मिलने का अवसर प्राप्त किया, जिन्होंने 2017 में वैज्ञानिक के रूप में कार्य आरंभ किया।

Chandrayaan-3 Moon Landing –प्रतापगढ़: पहली बार चंद्रयान-3 में लगाया ‘शेप

  • रवि केसरवानी और उनकी टीम ने चंद्रयान-3 में ‘शेप’ उपकरण से
  • सफलतापूर्वक चंद्रमा के प्रकाश को अर्थ तक पहुंचाया। उनके पिता
  • ओमप्रकाश केसरवानी कुंडा कस्बे में किराने की दुकान चलाते हैं।
  • उनकी मेहनत ने उनके बेटे को मिशन में सफलता दिलाई।
  • चंद्रयान-2 में तंत्रणा आई थी, क्योंकि यान चंद्रमा पर नहीं उतर सका।
  • इसके कारण चंद्रयान-3 की योजना बनाई गई और ‘शेप’ उपकरण की
  • शामिलीत का सुझाव आया। पूरे मिशन की तैयारी के पहले, नए उपकरण
  • की संभावना पर वैज्ञानिकों ने चर्चा की, जिसमें ‘शेप’ को प्रस्तुत किया।
  • यह नया प्रयोग न सिर्वाद को ही बल्कि अर्थ से चंद्रमा तक
  • कनेक्शन बनाने में महत्वपूर्ण था। रवि केसरवानी और उनकी टीम
  • ने चंद्रयान-3 मिशन को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण योगदान किया।
  • उनकी प्रेरणादायक कहानी हम सभी के लिए प्रेरणा स्रोत है।

गया: सफल लैंडिंग के लिए पूजा अर्चना


खरखुरा मोहल्ले में चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद उत्साहपूर्ण रोमांच का वातावरण है। शामिल मोहल्ले के वैज्ञानिक सुधांशु कुमार के माता-पिता ने सफलता की प्रार्थनाएं की हैं। सुधांशु की मां बिंदु देवी और पिता महेंद्र प्रसाद ने भारत के नाम को दुनिया में रोशन करने की कामना की है। इसके लिए वे देवी देवताओं की पूजा में लगे हैं। महेंद्र प्रसाद, सुधांशु के पिता, आटा चक्की संचालक हैं और सितंबर 2021 में इसरो से जुड़े थे। वर्तमान में वह श्रीहरिकोटा में सेवारत हैं।

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